CONTRIBUTION OF FATAH SINGH TO Veda Study
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This includes abstracts of papers of one day seminar on life and works of Dr. Fatah Singh and also the thesis work by Dr. Sukarma Pal Singh Tomar on symbolism of waters in vedas, done under the kind supervision of late Dr. Fatah Singh. Dr.
FATAH SINGH AND HIS WORKS On the sad
demise of one of the most learned vedic scholars of this century, Dr. Fatah
Singh, a one – day event has
been arranged by Global Synergy Samiti
, Jaipur where various invited scholars will evaluate the classical works of Dr. Fatah
Singh in modern contexts. You are cordially invited for this event which is to
take place on 27th April, 2008 from 9.00 AM to 6.00 PM. The
tentative program
is as follows: PROGRAMME Morning Session(9.30 – 11.00 AM) Chairman : Dr. S.P.Singh Mantra Chanting(Dr. Pratibha Shukla and Dr.
Sudha Upadhyaya) : 9.30 – 9.35 Welcome address – Dr. Badri Prasad
Pancholi : 9.35 – 9.55 Veda Interpretation Methodology based on
tradition – Dr. Pravesh Saksena : 9.55 – 10.20 The Reference Points of Future Veda
Interpretation – Dr. Shraddha Chauhan : 10.20 – 10.40 Address by Session
–Chairman : 10.40-11.00 Tea 11.00 – 11.15 AFTERNOON SESSION(First session 11.15 –
1.00) Session chairman : Dr. Shashi Prabha Kumar Dr. Pratibha Shukla – Vedic Darshan :
11.15 – 11.35 Dr. Sushma Pal Malhotra – The Vedic Basis of
Kaamaayanee Saundarya: 11.35 – 11.55 A short play based by Ojasvini, Yashsvini
and Devaneeka, based on “Contribution of Vedas to Progressive Indian
Nationality” : 11.55 – 12.05 Special address by Shri Kirit Joshi –
Global Unity of Mankind(based on “Contribution of Vedas to Humanity”) :
12.05 – 12.40 Address by Session Chairman : 12.40 – 1.00 Lunch : 1.00 – 1.45 AFTERNOON SESSION(Second Session 1.45 –
3.15) Session Chairman – Dr. Bhoodev Sharma Mahatma Gopal Swami Sarasvati – Dayananda
and his veda interpretation : 1.45 – 2.05 Shri Rohit Chauhan – How to apply Vedas in
daily life : 2.05 – 2.35 Dr. Renuka Rathore – Contribution of Dr.
Fatah Singh in unfolment of Dr. Shashi Tiwari – Vedic Etymology : 2.55
– 3.15 Third Session : 3.15 - 4.30 Session chairman : Dr. Urmil Rustagi Dr. Surendra Kumar – Difference between
Arya And Shudra( based on “Renaissance of Vedic knowledge”) : 3.15 –
3.35 Dr. Shashi Prabha Goyal – Two and a half
letters of Veda : 3.35 – 3.55 Dr. Aruna Shukla – Monotheism and Omkara :
3.55 – 4.10 Address by Session Chairman : 4.10 – 4.30 Tea 4.30 – 4.40 Evening
Session Chairman Dr. Ganesh Dutt Sharma Dr. Abhaya Dev Sharma – The outline of
veda study based on vedic glossary : 4.40 -5.00 Discussion 5.40 – 5.50 Address by session chairman 5.50 – 6.05 Thanks( Shri Dinesh Mishra) 6.05 – 6.10 Shanti Paatha Date : 27-4-2008 RSVP Dr. Shraddha
Chauhan Dr. Badri Prasad
Pancholi Shri Yogendra
Wadhwa ओ३म् ''मनुर्भव जनया दैव्यं जनम् ''
(१३-७-१९१३ से ६-२-२००८ ई.) ग्लोबल सिनर्जी समिति, जयपुर द्वारा वेदर्षि डा. फतहसिंह के व्यक्तित्व और कृतित्व पर आयोज्यमान एक दिवसीय श्रद्धाहुति संगोष्ठी में आप सादर आमन्त्रित हैं । यह संगोष्ठी डा. फतहसिंह द्वारा लिखित पुस्तकों पर आधारित है ।
डा. श्रद्धा चौहान अध्यक्ष, ग्लोबल सिनर्जी समिति, जयपुर संगोष्ठी अध्यक्ष - डा. एस.पी. सिंह संयोजक - डा. बद्री प्रसाद पंचोली रविवार, दिनांक २७-४-२००८, स्थान - वेद संस्थान, सी - २२, राजौरी गार्डन, नई दिल्ली - ११००२७ कार्यक्रम प्रातःसत्र(९.३० से ११.०० ) अध्यक्ष : डा. एस.पी.सिंह मन्त्रोच्चारण ( डा. प्रतिभा शुक्ला एवं डा. सुधा उपाध्याय ) : ९.३० - ९.३५ संयोजकीय वक्तव्य - डा. बद्री प्रसाद पंचोली : ९.३५ - ९.५५ प्राचीन परम्परा पर आधारित वेद भाष्य पद्धति - डा. प्रवेश सक्सेना : ९.५५ - १०.२० भावी वेदभाष्य के संदर्भ सूत्र - डा. श्रद्धा चौहान : १०.२० - १०.४० अध्यक्षीय उद्बोधन : १०.४० - ११.०० अल्पाहार ११.०० - - ११.१५ मध्याह्नोत्तर सत्र(प्रथम सत्र ११.१५ - १.००) सत्राध्यक्ष - डा. शशि प्रभा कुमार डा. प्रतिभा शुक्ला - 'वैदिक दर्शन' : ११.१५ - ११.३५ श्रीमती सुषमा पाल मल्होत्रा - 'कामायनी सौन्दर्य' का वैदिक आधार : ११.३५ - ११.५५ ओजस्विनी, यशस्विनी व देवानीक - 'प्रगतिशील भारतीयता को वेदों की देन' पर आधारित लघु नाटिका : ११.५५ - १२.०५ विशिष्ट वक्तव्य - श्री किरीट जोशी – Global Unity of Mankind('मानवता को वेदों की देन' पर आधारित ) : १२.०५ - १२.४० अध्यक्षीय उद्बोधन १२.४० - १.०० भोजन १.०० - १.४५ मध्याह्नोत्तर सत्र(द्वितीय सत्र १.४५ - ४.३०) सत्राध्यक्ष - डा. उर्मिल रुस्तगी महात्मा गोपाल स्वामी सरस्वती - 'दयानन्द और उनका वेदभाष्य' : १.४५ - २.०५ श्री रोहित चौहान - वेद को जीवन में कैसे उतारें : २.०५ - २.३५ डा. रेणुका राठौर - सिन्धु लिपि रहस्योद्घाटन में डा. फतहसिंह का योगदान : २.३५ - २.५५ डा. शशि तिवारी - Vedic Etymology : २.५५ - ३.१५ डा. सुरेन्द्र कुमार - आर्य - शूद्र वैमनस्य और वैदिक दृष्टि( 'वेदविद्या का पुनरुद्धार' पुस्तक पर आधारित ) : ३.१५ - ३.३५ डा. शशि प्रभा गोयल - 'ढाई अक्षर वेद के' : ३.३५ - ३.५५ डा. अरुणा शुक्ला - 'वैदिक एकेश्वरवाद एवं ओंकार' : ३.५५ - ४.१० अध्यक्षीय उद्बोधन ४.१० - ४.३० जलपान : ४.३० - ४.४० सायं सत्र( ४.४० - ६.००) सत्राध्यक्ष - डा. गणेशदत्त शर्मा डा. अभयदेव शर्मा - वेदानुशीलन की निघण्टु पर आधारित रूपरेखा : ४.४० - ५.०० आह्वान :वेदों का यथार्थ स्वरूप उजागर करने हेतु केन्द्र बिन्दुओं पर परिचर्चा ( श्री रोहित चौहान, डा. श्रद्धा चौहान, श्री सुबोध कुमार, डा.सुषमा शर्मा, डा. वेदपाल - - - - ) : ५.०० - ५.४० सत्राध्यक्ष द्वारा उद्बोधन : ५.४० - ५.५० संगोष्ठी अध्यक्ष द्वारा उद्बोधन : ५.५० - ६.०५ आभार(श्री दिनेश मिश्र) : ६.०५ - ६.१० शान्तिपाठ मंच संचालन : श्री दिनेश मिश्र/डा. बद्री प्रसाद पंचोली विवरण लेखन - डा. शशि प्रभा गोयल / डा. प्रवेश सक्सेना आयोजन समिति श्री जवाहर लाल कपूर(मो. ९८१०३१७२७७), श्री योगेन्द्र वाधवा( मो. ९८९१५००७१२), श्री विनय आनन्द(मो. ९८९९८८८२२०), श्री उमेश चावला(वेद संस्थान, टे. ०११-२५१०२३१६) This page was last updated on 08/18/10. |